अस्पताल, श्मसान और जेल मे होता जीवन की वास्तविकता का बोध
मानव अधिकार दिवस पर प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश की उपस्थिति मे कार्यक्रम आयोजित
बांधवभूमि न्यूज
मध्यप्रदेश
उमरिया
व्यक्ति पर जब भी धन और बल का अहंकार प्रभावी होने लगे तो उसे अस्पताल, श्मसान और जेल जा कर आत्मावलोकन करना चाहिए। ये तीनो स्थान जीवन की वास्तविकता का बोध कराते हैं। उक्त आशय के उद्गार प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री महेन्द्र सिंह तोमर ने रविवर को जिला कारागार मे अंतरराष्ट्रीय मानव अधिकार दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए व्यक्त किये। डीजे श्री तोमर ने अध्यात्म मे वर्णित कथा का जिक्र करते हुए बताया कि महाभारत युद्ध मे घायल हो कर बाणों की शैया पर लेटे भीष्म पितामह ने भगवान श्रीकृष्ण से पूछा कि उन्होने अपने जीवन मे ऐसा कोई पाप नहीं किया है, जिसकी इतनी बड़ी सजा हो। इस पर भगवान ने उन्हे पूर्व जन्मों को देखने की शक्ति प्रदान की। पितामह ने देखा कि 71वें जन्म मे उन्होने किसी सर्प को उछाल कर फेंक दिया, जिससे कई कांटे उसके शरीर मे चुभ गये थे। भीष्म पितामह समझ गये कि वे बाणों की शैया पर क्यों लेटे हुए हैं। उन्होने कहा कि प्रत्येक दण्ड इंसान के अपने कर्मो का ही नतीजा है। इसलिये हर किसी को अच्छे कार्य करने चाहिये, इससे उसका वर्तमान और भविष्य दोनो सुखमय व्यतीत होते हैं।
बंदियों के अधिकारों की रक्षा का वचन
इस अवसर पर प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री महेंद्र सिंह तोमर ने जेल के बंदियों को उनके अधिकारों की रक्षा का वचन दिया। उन्होने कहा कि यहां से जाकर समाज के जिम्मेदार नागरिक बने। इस अवसर पर तृतीय जिला न्यायाधीश राम सहारे राज, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण एवं जिला न्यायाधीश संगीता पटेल, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट आरपी अहिरवार, द्वितीय व्यवहार न्यायाधीश वरिष्ठ खण्ड धर्मेंद्र खंडायत, खालिदा तनवीर प्रथम व्यवहार न्यायाधीश कनिष्ठ खण्ड, अमृता मिश्रा तृतीय व्यवहार न्यायाधीश कनिष्ठ खण्ड, जिला जेल अधीक्षक डीके सारस, जेलर एमएस मार्को सहित गायत्री परिवार, हार्ट फुलनेस संस्था के सदस्य, सहायक ग्रेड-3 फिरोज मंसूरी सहित अन्य अधिकारी कर्मचारी तथा गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।