समस्याओं के समाधान के लिए प्रभारी मंत्रियों की बाट जोह रहे हैं जिले
भोपाल। जबलपुर से बीजेपी के वरिष्ठ विधायक अजय विश्नोई ने अब सीधे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर निशाना साधा है। विश्नोई ने मंत्रियों को जिलों के प्रभार अब तक नहीं दिए जाने पर तंज कसा है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा है- प्रदेश के सभी जिलों में अनेक समस्याएं समाधान के लिए प्रभारी मंत्री की बाट जो रहे हैं। कैबिनेट विस्तार के बाद भी विश्नोई का दर्द सोशल मीडिया पर झलका था। लेकिन इस बार उन्होंने मुख्यमंत्री की कार्य प्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।एक तरफ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लगातार मंत्रियों और मैदानी अफसरों के साथ बैठक कर संदेश दे रहे हैं कि आम आदमी को किसी तरह की परेशानी नहीं होना चाहिए। दूसरी तरफ विश्नोई स्पष्ट सवाल उठा रहे हैं कि जिलों में समस्याएं हैं। विश्नोई ने आगे लिखा- चौथी बार मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने की पहली वर्षगांठ के अवसर पर यह उपहार देने की कृपा करें और वायदे के अनुसार जबलपुर और रीवा का प्रभार स्वयं ग्रहण करें।
पहले लिखा था- महाकौशल और विंध्य अब फड़फड़ा सकते हैं उड़ नहीं सकते
इससे पहले कैबिनेट विस्तार के अगले दिन 4 जनवरी को भी विश्नोई ने सोशल मीडिया पर लिखा था- महाकौशल के 13 भाजपा विधायकों में से एक को तथा विंध्य में 18 भाजपा विधायकों में से एक को राज्य मंत्री बनने का सौभाग्य मिला है। महाकौशल और विंध्य अब फड़फड़ा सकते हैं उड़ नहीं सकते। महाकौशल और विंध्य को अब खुश रहना होगा… खुशामद करते रहना होगा।
उन्होंने आगे लिखा था कि मध्यप्रदेश में सरकार का पूर्ण विस्तार हो गया है। ग्वालियर, चंबल, भोपाल, मालवा क्षेत्र का हर दूसरा भाजपा विधायक मंत्री है। सागर, शहडोल संभाग का हर तीसरा भाजपा विधायक मंत्री है। विश्नोई ने इशारा किया है कि कैबिनेट में जगह देने के मामले में महाकौशल और विंध्य क्षेत्र की उपेक्षा की जा रही है। बता दें कि विश्नोई शिवराज सरकार के पहले कार्यकाल में स्वास्थ्य मंत्री रह चुके हैं।
दूसरे कैबिनेट विस्तार के बाद से इंतजार
शिवराज कैबिनेट का दूसरा विस्तार 2 जुलाई 2020 में हुआ था। छह माह बीत जाने के बाद भी मुख्यमंत्री, मंत्रियों को जिलों का प्रभार नहीं दे पाए। शिवराज सिंह ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, इसके एक माह बाद 5 मंत्रियों को 2-2 संभागों का प्रभार सौंपा था। पिछले माह 26-27 दिसंबर को बीजेपी के प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव भोपाल प्रवास पर थे, उस दौरान तय हुआ था कि कैबिनेट विस्तार के साथ ही मंत्रियों को जिलों के प्रभार सौंप दिए जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसके बाद आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश के मंथन के लिए सीएम ने बैठक की थी, तब भी कयास लगाए गए कि अब मंत्रियों के बीच जिलों का बंटवारा हो जाएगा, लेकिन आदेश अब तक जारी नहीं हुआ।