अब आशा-ऊषा ने दी हड़ताल की धमकी
रैली निकाल कर सौंपा सीएम के नाम का ज्ञापन, दिया सात दिन का अल्टीमेटम
बांधवभूमि, उमरिया
कोयला कामगारों तथा बैंक कर्मियों द्वारा की गई दो दिनी हड़ताल के बाद अब शहर और ग्रामीण अंचलों मे स्वास्थ्य, टीकाकरण सहित कई महत्वपूर्ण कार्यो मे अपना योगदान देने वाली आशा-ऊषा कार्यकर्ताओं ने सरकार को शोषण बंद करने की चेतावनी दे डाली है। कल जिले की सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने कलेक्ट्रेट के समक्ष धरना दिया तथा रैली निकाल कर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के नाम का ज्ञापन प्रशासन को सौंपा। इस दौरान जम कर नारेबाजी की गई।
न्यूनतम वेतन के बराबर मिले मानदेय
आशा-ऊषा कार्यकर्ताओं ने कहा कि एक तरफ सरकार निजी संस्थानो और ठेकेदारों से मजदूरों को लगभग 400 रूपये प्रतिदिन न्यूनतम मजदूरी देने की बात कहती है, वहीं दूसरी ओर उन्हे महज 2000 रूपये मानदेय दिया जा रहा है। वर्ष 2006 मे उनकी नियुक्ति से लेकर अब तक इसमे एक पैसे की भी बढ़ोत्तरी नहीं की गई है। इतनी राशि मे गुजारा मुश्किल है।
अधिकारी देते हैं काम से निकालने की धमकी
बताया गया है कि आशा-ऊषा कार्यकर्ताओं की कड़ी मेहनत की बदौलत मातृ-शिशु मृत्यु दर मे कमी आई है तथा शत-प्रतिशत टीकाकरण संभव हुआ है। वे 24 घंटे की सेवायें देकर गर्भवती माताओं की देखभाल सहित अन्य कार्यो को अंजाम देती हैं, परंतु सम्मान तो दूर प्रोत्साहन भी नहीं मिलता। उलटे शासकीय अधिकारी उन्हे काम से निकालने की धमकी देते हैं।
10 हजार किया जाय मानदेय
सौंपे गये ज्ञापन मे आशा-ऊषा कार्यकर्ताओं ने मानदेय को 2000 से बढ़ा कर 10 हजार करने, सरकारी कर्मचारी घोषित करने, ड्यूटी का समय निश्चित करने, एएनएम, जीएनएम के पद पर अनुभव के आधार पर प्राथमिकता देने। इसमे आयु का बंधन न हो। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों मे समान मानदेय, सेवा के दौरान आकस्मिक मृत्यु पर आश्रितों को 5 लाख का मुआवजा, सेवानिवृत होने पर एक मुश्त 10 लाख रूपये दिये जाने तथा कोविड के समय किये गये कार्य हेतु प्रोत्साहन राशि देने सहित अन्य मागों का उल्लेख है। उनका कहना है कि संगठन द्वारा इस संबंध मे कई बार ज्ञापन दिये गये हैं, परंतु सरकार लगातार उनकी अनसुनी करती चली आ रही है। यदि 7 दिवस मे सभी मांगों का समुचित निदान नहीं हुआ तो जिले की समस्त आशा-ऊषा कार्यकर्ता हड़ताल के लिये विवश होंगे।
कांग्रेस ने दिया आशा-ऊषा कार्यकर्ताओं को समर्थन
कांग्रेस ने आशा-ऊषा कार्यकर्ताओं के आंदोलन को अपना समर्थन देते हुए मप्र सरकार से उनकी सभी मागों को तत्काल मानने की बात कही है। स्थानीय कलेक्ट्रेट के समक्ष आंदोलनरत आशा-ऊषा कार्यकर्ताओं के पंडाल मे पहुंचे पार्टी के जिलाध्यक्ष राजेश शर्मा एवं सद्भावना प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष राजीव सिंह बघेल ने कहा कि ये कार्यकर्ता स्वास्थ्य सहित अन्य कई महत्वपूर्ण सेवाओं के क्रियान्वयन मे महत्वपूर्ण योगदान देती हैं। इसके बावजूद उनकी सुनवाई नहीं हो रही है, जो कि दुखद है। उन्होने कहा कि यदि सरकार आशा-ऊषा की मांगों को नहीं मानती तो पार्टी कार्यकर्ता इस आंदोलन मे उनके सांथ रहेंगे।
अब आशा-ऊषा ने दी हड़ताल की धमकी
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