अतिक्रमण घोट रहा नदियों का गला

नदी पुनर्जीवन योजना मे शामिल घोड़छत्र समेत जिले की अन्य नदियों पर लोगों ने कर लिया कब्जा
बांधवभूमि, उमरिया
जिले के नदी और नालों पर अतिक्रमण करके उसकी धार को सिकुडऩे वालों के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इसके लिए कुछ माह पहले जिला प्रशासन ने जिला टास्क फोर्स की एक आवश्यक बैठक कर कार्रवाई का निर्णय लिया था। उमरिया जिले के उमरार नदी सहित कई नदियों और नालों के किनारों पर लोगों ने अतिक्रमण कर लिया है। जंगल की बेशकीमती जमीनों पर भी लोग बस गए हैं, जिससे जंगल के जानवर प्रभावित हो रहे हैं। जिले के नदी और नालों पर अतिक्रमण करके उसके उसकी धार को सिकुडऩे वालों के खिलाफ करने का निर्णय लिया गया था लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
खोती जा रही अपना अस्तित्व
अमरकंटक से निकलने वाली सोन की सहायक नदी जोहिला पर कई जगह अतिक्रमण किया गया है। घोड़छत्र नदी अतिक्रमण का शिकार हो चुकी है। उमरिया नगर की जीवन रेखा उमरार नदी पर भी कई स्थानों पर अतिक्रमण किया जा चुका है। चंदिया की कथली नदी की धार भी अतिक्रमण के कारण सिकुड़ गई है। बांधवगढ़ के जंगल से निकलने वाली चरण गंगा नदी भी अतिक्रमण के कारण खोती जा रही है। इसके अलावा कई अन्य छोटी नदियां और नाले अतिक्रमण का शिकार हो चुके हैं।
इस तरह हो निर्धारण
यह नदिया जहां राजस्व सीमा से निकलती है वहां राजस्व रिकार्ड और जहां वन क्षेत्र से निकलती है वह वन क्षेत्र के रिकॉर्ड से इनके पाट का रकबा निकाला जाना चाहिए। जो भी निर्माण अथवा अतिक्रमण नदी नालों के निर्धारित रखवा क्षेत्र मे दिखाई देंगे उन्हें अवैध घोषित किया जाए और इसके पश्चात नोटिस देकर उन्हें हटाने की कार्रवाई की जाए। इस बारे मे जानकारी देते हुए वन मंडल अधिकारी मोहित सूद ने बताया कि वन विभाग के पास जंगल से निकलने वाली नदी नालों की संपूर्ण जानकारियां है। वहीं एसडीएम सिद्धार्थ पटेल का कहना है कि राजस्व विभाग के पास राजस्व क्षेत्र से निकलने वाली नदियों और नालों की संपूर्ण जानकारियां उपलब्ध है।
बैठक मे हुआ यह निर्णय
जिले के राजस्व और वन क्षेत्रों से गुजरने वाली नदी और नालों पर किए गए अतिक्रमण, वनों की अवैध कटाई तथा खनिज के अवैध उत्खनन एवं परिवहन पर रोक लगानें के लिए एक साथ संयुक्त कार्रवाई की जाएगी। संयुक्त कार्रवाई करनें के लिए टास्क फोर्स की बैठक कलेक्टर की अध्यक्षता मे कलेक्टर सभागार में बुलाई गई थी। बैठक मे अलग-अलग क्षेत्रों मे किए गए अतिक्रमण को लेकर चर्चा की गई। चर्चा के दौरान यह बात सामने आई कि नदी नालों पर अतिक्रमण करने वाले ना सिर्फ जंगलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं बल्कि उनकी वजह से जंगल के पशु भी प्रभावित हो रहे हैं। यही कारण है कि नदी नालों पर किए गए अतिक्रमण के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्णय लिया गया है।

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