रूस के बैंक मे प्रमोटर शेयर गिरवी रख,लिया 20000 करोड का कर्ज, फोर्ब्स ने किया घालमेल का खुलासा
नई दिल्ली। गौतम अडानी समूह की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं।एक के बाद एक, जोर से झटके लगते जा रहे हैं। हिंडन बर्ग की जिस रिपोर्ट को लेकर सरकार अडानी ग्रुप का बचाव कर रही थी। उसी अडानी समूह के बारे में फ़ोबर्स की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है, कि समूह ने प्रमोटर शेयर गिरवी रखकर रूस के सरकारी बैंक वीटीवी से एक लोन लिया है। इसकी जानकारी भारत सरकार से भी और स्टॉक एक्सचेंज को नहीं दी।
अप्रैल 2021 तक कंपनी ने 26।3 करोड डालर उधार लिए थे।कंपनी ने लोन लेने के बाद,एक संबंधित पार्टी को 25.8 करोड़ डालर का लोन दे दिया।विदेश में रहने वाले विनोद अडानी की सिंगापुर की कंपनी पेनिकल ट्रेड एंड इन्वेस्टमेंट पर इन डायरेक्ट कंट्रोल है। दो निवेश फंड एफ्रो एशिया और वर्ल्ड वाइड इमर्जिंग मार्केट होल्डिंग्स लिमिटेड को कर्ज के लिए गारंटर के रूप में पेश किया था।आश्चर्य की बात यह है कि इन दोनों कंपनियों की अडानी ग्रुप में बड़ी हिस्सेदारी है। इनके पास अडानी ग्रुप की चार कंपनियों के लगभग 4 अरब डालर की हिस्सेदारी है। ग्रुप की फ्लेक्सी कंपनी अडानी इंटरप्राइजेज, अडानी ट्रांसमिशन, अडाणी पोर्ट्स और अडानी पावर शामिल हैं। अडानी इंटरप्राइजेज में उनकी हिस्सेदारी 16 फरवरी को 1.3 अरब डालर की थी। अडानी पावर में 1.2 अरब डॉलर, अडानी पोर्ट्स में 80 करोड़ डालर और अडानी ट्रांसमिशन में 70 करोड़ डालर की हिस्सेदारी थी। हिंडन वर्ग की रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए फोर्ब्स की रिपोर्ट में भी कहा गया है,कि फंड्स ने भारतीय एक्सचेंज को गिरवी रखे शेयरों के बारे में कोई जानकारी नहीं दी है।
हिंडन वर्ग की रिपोर्ट की पुष्टि अब फोर्ब्स मैगजीन ने भी कर दी है।गौतम अडानी के भाई विनोद शांतिलाल अडानी अमीर एनआरआई हैं।वेल्थ हारून इंडिया रिच लिस्ट 2022 की सूची में उनका नाम छठवें नंबर पर था।विनोद शांतिलाल अडानी ने 2021 में रोजाना 102 करोड़ रुपए की कमाई की, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है।दुबई में रहने वाले विनोद अडानी सिंगापुर और जकार्ता में ट्रेडिंग बिजनेस का काम करते हैं। 2021 में उनकी नेटवर्क में 28 फ़ीसदी का इजाफा हुआ था। जिससे उनकी आमदनी 37400 करोड़ रुपए बढ़ी थी। विनोद भाई के नाम से प्रसिद्ध विनोद अडानी ने 1976 में महाराष्ट्र के भिवंडी में बीआर टेक्सटाइल के नाम से पावरलूम की स्थापना की थी। बाद में उन्होंने सिंगापुर में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कारोबार का विस्तार किया।1994 में वह दुबई जाकर बस गए थे। दुबई से उन्होंने शुगर, आयल, एलुमिनियम कापर और आयरन स्क्रैप की ट्रेडिग शुरू की थी।
विनोद अडानी और अडानी समूह की कंपनियों का घालमेल
2014 के बाद से सिंगापुर,मलेशिया, दुबई इत्यादि में कंपनियां बनाकर भारत के लिए ट्रेडिंग करने,गौतम अडानी समूह के बिजनेस को बढ़ाने में,विनोद अडानी की कंपनियों की बहुत बड़ी भूमिका है। वहां से बड़े पैमाने पर रकम का अवैध रूप लेनदेन हुआ है।भारतीय शेयर एक्सचेंज को भी इसकी जानकारी नहीं दी गई है। सेवी और इनकम टैक्स को भी जानकारी नहीं होने से यह घालमेल चलता रहा। इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि हिंडन वर्ग रिसर्च की जो रिपोर्ट आई है। उसमें गौतम अडानी का नाम 54 बार आया है।वहीं विनोद अडानी और उनकी कंपनियों का नाम 151 बार आया है।फोर्ब्स मैगजीन के द्वारा जो खुलासा किया गया है।उसके बाद गौतम अडानी समूह की मुश्किलें और भी बढ़ गई हैं। इसके साथ ही भारत सरकार और उसकी जांच एजेंसियों को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। क्योंकि हिंडन बर्ग की रिपोर्ट को अब आसानी से नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट भी इस मामले में खुद ही जांच कमेटी बना रही है। जिसके कारण अडानी समूह की मुश्किलें और भी बढ़ेगी।
अडानी समूह का एक ओर बड़ा घोटाला
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