अंबिकापुर एक्सप्रेस भी हुई स्पेशल

ट्रेन मे चढ़ेंगे सिर्फ कनफर्म यात्री, समझ से परे रेलवे का रवैया
उमरिया। काफी दिनो तक बंद रहने के बाद रेलवे ने जबलपुर-अंबिकापुर एक्सप्रेस ट्रेन को हरी झण्डी देने का फैंसला कर लिया है। यह ट्रेन आगामी 5 दिसंबर को अंबिकापुर से जबलपुर के लिये रवाना होगी। हलांकि अन्य ट्रेनो की तरह इसे भी स्पेशल ट्रेन के रूप चलाया जायेगा। मतलब यह अस्थाई रूप से चलेगी और यात्रियों को किसी भी प्रकार की छूट नहीं मिलेगी। सांथ ही ट्रेन मे रिजर्वेशन कन्फर्म होने पर ही सफर किया जा सकेगा। गौरतलब है कि कोरोना के बाद से देश भर मे ट्रेनो का परिचालन बंद कर दिया गया था, जिन्हे अब धीरे-धीरे शुरू किया जा रहा है। इस दौरान अनेक रूटों की गाडिय़ां चालू हो गई हैं परंतु उन्हे स्पेशल ट्रेनो के रूप मे चलाया जा रहा है। जिससे कमजोर, मरीज और अन्य वर्ग के लोगों को मिलने वाली रियायत अपने आप बंद हो गई, वहीं ट्रेनो का शेड्यूल और स्टापेज भी नये तरीके से तय किया गया है।
एक तीर से कई निशाने
जानकारों का मानना है कि कोरोना की आड़ मे रेलवे ने बड़ी ही चालाकी के सांथ एक तीर से कई निशाने साधने का काम किया है। पुरानी ट्रेनो को स्पेशल का दर्जा दिये जाने से सारी रियायतें के एक झटके मे खत्म होने के सांथ किराये मे भी बढ़ोत्तरी हो गई है। मजे की बात यह भी है कि महामारी की वजह से इतने बड़े कदम का कोई विरोध भी नहीं कर पा रहा है।
निजीकरण की कवायद
वहीं विपक्षी दलों का आरोप है कि केन्द्र सरकार लंबे समय से देश के सरकारी उपक्रमो को बेंचने की कवायद मे जुटी हुई है। इसी क्रम मे तेजस जैसी ट्रेनो को चलाने का प्रयोग किया जा चुका है। यह पूरा मामला एक सोची समझी साजिश का हिस्सा है ताकि लोगों को सरकारी सुविधाओं से महरूम कर मंहगे किराये की आदत डाली जाय।
रेग्यूलर ट्रेने कब तक
रेलवे की कार्यप्रक्रिया नागरिकों की समझ से बाहर है। उनका कहना है कि जब टे्रने शुरू ही की जा रही हैं, तो उन्हें स्पेशल का दर्जा देकर क्यों चलाया जा रहा है, और जब स्पेशल गाडिय़ों के चलने से कोरोना नहीं फैलेगा तो रेग्यूलर ट्रेने चलाने मे दिक्कत ही क्या है।
संभाग की भारी उपेक्षा
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे द्वारा शहडोल संभाग की घोर उपेक्षा का दौर अब भी जारी है। बीते करीब 9 महीनो से क्षेत्र से गुजरने वाली अधिकांश ट्रेने बंद हैं। जिसकी वजह से दिल्ली, उत्तरप्रदेश, पश्चिम बंगाल, राजस्थान छत्तीसगढ़ आदि की ओर यात्रा करने वाले लोगों को भारी परेशानी के सांथ ही आर्थिक चपेट का सामना करना पड़ रहा है। रेलवे की इस उपेक्षा का दंश उमरिया जिले के पर्यटन उद्योग को भी झेलना पड़ रहा है। हालत यह है कि पिछले दिनो शुरू की गई सारनाथ एक्सप्रेस का स्टापेज जिला मुख्यालय और चंदिया स्टेशनो पर नहीं दिया गया है। इस संबंध मे क्षेत्रीय सांसद से लेकर रेलवे के उच्च अधिकारियों तक से मांग की गई परंतु सभी ने जैसे मौन साध लिया है।

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